Sunday 15 February 2015

अमिताभ बच्चन कलाकार से को-स्टार फिर स्टार फिर सुपर स्टार - अब फिर से कलाकार

अमिताभ बच्चन

कलाकार से को-स्टार फिर स्टार फिर सुपर स्टार - अब फिर से कलाकार

 

सन 1969 में अमिताभ बच्चन का फ़िल्मी सफर सात हिंदुस्तानी से शुरू हुआ, आज षमिताभ की चर्चा 2015 में हो रही हैं।  सन 1986 से उनका फैन होने के नाते कुछ उनकी फिल्मों के टाइटल को जोड़कर अपने विचार रख रहा हूँ, जरूरी नहीं कि खुद अमिताभ जी या जनता मेरे इन विचारों से सहमत हो।

 

वर्ष 1969 से 1972 तक को -स्टार के रूप में अमिताभ जी सात हिंदुस्तानी में से एक हिंदुस्तानी बनकर दीवाना बनने की बजाये परवाना बन गए , तभी रेशमा और शेरा से मिलने के बाद संजोग से गुड्डी एक प्यार की कहानी बनकर उनके फिल्मी जीवन में आई।  अमिताभ जी ने सोचा नहीं होगा एक दिन यह गुड्डी उनकी जीवन संगनी बनकर हमेशा उनके साथ रहेगी , लेकिन किसी कि एक नज़र क्या लगी, बंसी बिरजू ने अमिताभ जी को रास्ते का पत्थर बना दिया और बॉम्बे से गोवा तक जाने में उनके बंधे हाथ थे।

 

वर्ष 1973 से 1976 में एक स्टार अमिताभ बच्चन का उदय हिंदुस्तान में हुआ। दुनिया की गहरी चाल से मुकाबला करते हुए ज़ंजीर की जोरदार खनखनाहट ने सबको हिला कर रख दिया, अमिताभ जी की फ़िल्म अभिमान आई, लेकिन उनमें स्वाभिमान हमेशा से ज्यादा रहा, सो एक नमक हराम से सौदाग़र की कसौटी पर भी खरे उतरे। उस वक़्त तक अमिताभ जी की स्टार के रूप में इतनी ख्याति हो चुकी थी, कि उनका अकेले घूमना मुश्किल हो चुका था, तभी बेनाम और मजबूर होकर रोटी कपड़ा और मकान की तलाश मैं अपनी मिली के साथ चुपके चुपके दुनियां की नजरों से फरार हो गए।लेकिन तभी दो अनजाने एक  हो रहे थे, जवानी के शोले भी भड़के, तभी जमीर की दीवार सामने आ गई, तो कभी कभी सब से छुपकर मिलने वालों ने हेरा फेरी छोड़कर शादी कर ली।

 

वर्ष 1977 से 1980 के बीच एक स्टार अमिताभ बच्चन सुपर स्टार बन गया। अमिताभ जी का आलाप शायद सब सुन नहीं पाये, जनता की अदालत ने अमर अकबर अन्थोनी को पूरे नंबर से पास किया, अपने ईमान धरम पर कायम रहते हुए अमिताभ जी ने अपना खून पसीना एक कर अपनी कमाई से गरीबों की परवरिश भी बखूबी की , गंगा की सौगंध खाते  हुए सभी कस्मे वादे निभाए और अपनी पूरी जिंदगी में कभी भी बेशर्म नहीं बने।  तभी भगवान शिव शंकर ने मेहनत और लगन को देखकर अपना त्रिशूल अमिताभ जी को देते हुऐ , उन्हें मुकद्दर का सिकन्दर बना दिया।

 

हिंदुस्तान के उनके चाहने वालों ने उन्हें डॉन ही नहीं बल्कि भारतीय फ़िल्म जगत का सुपरस्टार बना दिया।

 

अमिताभ जी ने कभी भी असली जिंदगी में मिस्टर नटवर लाल बनकर अपनी  मंजिल पाने के लिए दा ग्रेट गैम्बलर बनकर जुर्माना नहीं भरा।  सभी के सुहाग की सलामती की कामना करते हुए राम बलराम के साथ काला पत्थर पार कर शान से दोस्ताना निभाया और कभी भी दो और दो पांच नहीं किया और हमेशा नसीब के धनी बने रहे।

 

वर्ष 1981 से 1984 का समय सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के फ़िल्मी और वयक्तिगत जीवन में काफी दुश्वारियां लेकर आया।  कई बरसों का याराना जिसका सिलसिला अंदर ही अंदर काफी लम्बा चला, वो बरसात की एक रात में पल भर में ही लावारिश जैसा बन गया, खुद्दार -बेमिसाल -देशप्रेमी -नमक हलाल जैसी शक्ति से भरपूर अमिताभ जी ने दुनिया की ताश के बाजीगर कालिया को भी सत्ते पे सत्ते का मजा लेने को विवश कर दिया।

 

अमिताभ असल जिंदगी में कभी भी नास्तिक नहीं रहे, लेकिन फिर भी अनहोनी  ने न जाने क्यों अँधा कानून बनाकर महान सुपर स्टार की पुकार नही सुनी और कुली में उन्हें असली में मौत के करीब ला दिया। लेकिन अपनी निजी जिंदगी में कभी भी शराबी न रहने वाले अमिताभ जी को उनके चाहने वालों की प्रार्थना से खुश होकर भगवान ने एक नई जिंदगी दी और अमिताभ जी ने इस नई जिंदगी का अलग ही तरीक़े से इन्किलाब किया।

 

वर्ष 1985 से 1988 के बीच भी अमिताभ बच्चन सुपर स्टार फ़िल्मी दुनिया में जरूर बने रहे, परन्तु निजी जीवन में गिरफ्तार तो नहीं हुये लेकिन अंपने एक पारिवारिक मित्र की मित्रता को निभाते हुए काफी बदनाम  हुये। लेकिन परेशानियों से उबरते हुए आखिरी रास्ता चुना और एक मर्द के रूप में अमिताभ जी ने गंगा जमुना सरस्वती की कसम खाकर शहंशाह की तरह रहना सीख लिया।

 

वर्ष 1989 से 1992 के बीच अमिताभ जी का सुपरस्टार का रुतबा कम होने लगा, एक जादूगर ने ऐसा तूफ़ान उठाया कि हमेशा मैं आज़ाद हूँ कहने वाले अमिताभ बच्चन को अग्निपथ से भी गुजरना पड़ा और लगातार कभी आज का अर्जुन बनकर , कभी इंद्रजीत बनकर, कभी अकेला रहकर और तो और ख़ुदा  गवाह है, इस बीच  हम जैसों जो छोड़कर, जो उनके जबरदस्त मुरीद हैं, उनके अधिकतर फैन ने उनका कोई भी अजूबा नहीं माना।

 एक कहावत बहुत सही है, कि एवेरेस्ट पर फ़तेह तो की जा सकती है पर टॉप पर हमेशा बना रहना संभव नहीं है, यही बात अमिताभ बच्चन पर वर्ष 1993 से 1997 के बीच लागू हुई, जब उनका स्टारडम डगमगाने लगा, एक इंसानियत के फ़रिश्ते को मृत्युदाता तक बनाना पड़ा।  सबसे अधिक उनके उम्र का पड़ाव भी उन्हें कुछ हटकर करने को कह रहा था।

 

वर्ष 1998 से 2001 के बीच फिर से कलाकार के रूप में एक नए अमिताभ बच्चन का जन्म हुआ, पब्लिक ने कहा बड़े मियां छोटे मियां की जोड़ी जम रही है। लेकिन हिंदुस्तान की कसम खाकर कहता हूँ, कि लाल बादशाह और सूर्यवंशम बनकर भी अमिताभ जी वो कोहराम नहीं मचा सके, जो एक सुपरस्टार करता है।  तभी उन्होंने अपने अक्स में अंदर तक आँखें डालकर देखा कभी ख़ुशी कभी ग़म का हमेशा से एक रिश्ता रहा हैं, जो मोहबतें करके ही निभाया जा सकता है।

 

वर्ष 2002 से 2005 में उनके फैन ने उन्हें फिर से अपना लिया, सबसे बड़ी देन उनकी आवाज के टेलेंट पर आधारित कौन बनेगा करोड़पति रहा।  लेकिन उनके बाग़बान में कुछ कांटे भी आये, तब भी उनके अरमान फिर से बूम हुए। अमिताभ जी ने ख़ाकी से हमेशा से प्यार करते हुए कई चीजों से ऐतबार भी किया, तभी फिर से लक्ष्य को साधते हुए अपने फैन के बीच देव दर्शन बनकर उभरे। फैन से अमिताभ जी ने कहा क्यूँ हो गया ना अब तो खुश हो, वीर जारा की तरह दुश्मनी की यह दीवार फिर से गिरा दो क्योंकि अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों। सच भी है, वक़्त चाहे कितना भी ब्लैक क्यों न हो, कितना भी आपके विरुद्ध क्यों न हो, आख़िर बंटी और बबली की प्रेम की सरकार बन ही जाती है। वैसे भी जब आज कोई नया सुपरस्टार फिल्मी लाइन में नहीं बन सका है, तो अमिताभ जी का वो दर्जा तो बना ही हुआ है, उन्होने एक अज़नबी से कहा दिल जो भी कहेगा उसे हम मानेंगे।

 

वर्ष 2006 से 2009 तक के बीच अमिताभ बच्चन नाम का, वो नया कलाकार फिर से फिल्म इंडस्ट्री में छा गया, उन्होने अपने फैन को फैमिली की तरह मान कर कहा गलत काम करने पर भगवान से डरना जरूरी है।  जब लड़की अपने बाबुल का घर छोड़कर जाती है तो उनसे यही कहती है, कि कभी अलविदा न कहना, बढ़ती उम्र के साथ चीनी कम खाना और कभी किसी से राय लेनी हो तो ले लेना संकोच मत करना और न ही एकलव्य की तरह से निःशब्द बन जाना। आज के सरकार राज में  दा लास्ट लेयर जैसी कोई भावना मत रखना जो भूतनाथ बनकर आग की तरह जलाती रहे, बस यही कहना गॉड तुस्सी ग्रेट हो जो मुझे अलादीन के चिराग जैसे पा दिये।

 

वर्ष 2010 से आज 2015 के शुरू के महीनों तक अभी अमिताभ बच्चन का जादू बरक़रार है, अभी हाल ही में पुलिस के आरक्षण की परिधि में आने वाले एक खंडहर के डिपार्टमेंट में कुछ अपने फैन के साथ अमिताभ जी तीन पत्ती खेल रहे थे, सबने पुलिस देखकर उनसे कहा रन, लेकिन वो पुलिस की पकड़ में आ गये।  पुलिस ने देखकर कहा ऐ ओल्ड मैन, क्या कर रहे थे, गुस्से में अमिताभ बच्चन ने कहा, बुड्ढा होगा तेरा बाप

 

मैं तो षमिताभ हूँ।

 

अमिताभ बच्चन का ये सफर अभी जारी है, सुपरस्टार अमिताभ बच्चन सन अस्सी के दौर का एक संघर्ष करता हुआ नौजवान गुस्सैल ही आज भी मेरा आदर्श है.…………… शायद मेरी इस बात से उनके कई फैन सहमत हों। 

नवीन चन्द्र पनेरू


2 comments:

  1. वास्तव में बढ़िया !

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  2. Really Amitabh Bachchan is Great Star of India

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